Hafiz Shahid मारा गया: पाकिस्तान में खुफिया ऑपरेशन से बड़ी सफलता
आतंक का एक और चेहरा खत्म, Hafiz Shahid के मारे जाने की बड़ी खबर आई सामने
दक्षिण एशिया में आतंकवाद को लेकर चल रही लड़ाई में एक बार फिर बड़ी सफलता मिली है। खबर है कि पाकिस्तान में एक बेहद खुफिया ऑपरेशन के तहत कुख्यात आतंकी Hafiz Shahid को मार गिराया गया है। इस खबर के सामने आते ही न सिर्फ भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी हलचल मच गई है। लंबे समय से Hafiz Shahid आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है और भारत समेत कई देशों की खुफिया एजेंसियों की रडार पर था।
इस लेख में हम जानेंगे कि Hafiz Shahid कौन था, उसे कब और कहां मारा गया, उसकी गतिविधियां कैसी थीं, भारत और विश्व के लिए यह कितनी बड़ी कामयाबी है, और आगे आतंकवाद के खिलाफ जंग में यह घटना कितनी निर्णायक साबित हो सकती है।

Hafiz Shahid कौन था? आतंक की दुनिया में एक और कुख्यात नाम
Hafiz Shahid को पाकिस्तान में सक्रिय कई आतंकी संगठनों से जुड़ा हुआ माना जाता था। वह लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अल-बदर जैसे संगठनों के लिए काम कर चुका था। इसके साथ ही उसका संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के कुछ धड़ों से भी बताया जाता था।
हाफिज शाहिद पर आरोप था कि वह भारत के कश्मीर क्षेत्र में आतंकी घुसपैठ और फंडिंग में शामिल था। कई बार उसे सीमापार से भारत में हिंसा फैलाने वाले हमलों की साजिश में शामिल बताया गया। वह एक ऐसा चेहरा बन चुका था जो खुलेआम पाकिस्तान में रहकर भारत के खिलाफ जहर उगलता था और युवाओं को आतंक की राह पर ले जाने की साजिशें करता था।
कब और कहां मारा गया Hafiz Shahid?
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार Hafiz Shahid को पाकिस्तान के पेशावर के पास एक बेहद गोपनीय ऑपरेशन के तहत मार गिराया गया। यह ऑपरेशन किसने चलाया, इस पर पाकिस्तान सरकार ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह हमला या तो पाकिस्तान की ही सेना ने किया या फिर किसी अन्य देश की खुफिया एजेंसी के साथ मिलकर यह कार्रवाई की गई।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Hafiz Shahid एक मकान में छिपा हुआ था और उस स्थान पर कुछ संदिग्ध गतिविधियां पहले से नोट की जा रही थीं। जैसे ही पुष्टि हुई, वैसे ही पूरी योजना के साथ उस मकान को घेर कर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।
भारत के लिए क्यों है ये बड़ी कामयाबी?
भारत लंबे समय से Hafiz Shahid जैसे आतंकियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करता रहा है। कई बार भारत ने यह बात संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर रखी कि पाकिस्तान की जमीन से आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। Hafiz Shahid जैसे चेहरे भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार थे।
ऐसे में Hafiz Shahid का मारा जाना भारत की आतंक के खिलाफ नीति की एक नैतिक जीत मानी जा सकती है। भले ही यह ऑपरेशन भारत ने नहीं चलाया हो, लेकिन उसकी निरंतर कोशिशों और दबाव का ही असर है कि अब ऐसे आतंकी सुरक्षित नहीं रह पा रहे।
क्या ISI ने ही हटाया अपना मोहरा?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि Hafiz Shahid अब ISI के लिए भी एक बोझ बन चुका था। वह इतना ज्यादा सक्रिय हो चुका था कि अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने लगा था। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि हो सकता है, पाकिस्तान की अपनी ही एजेंसी ने उसे रास्ते से हटा दिया हो ताकि आतंकवाद को लेकर दुनिया की आंखों में धूल झोंकी जा सके।
पाकिस्तान इससे पहले भी कई बार ऐसे ऑपरेशन कर चुका है, जिनमें पहले अपने ही बनाए गए आतंकियों को रास्ते से हटा दिया जाता है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दिखाया जा सके कि वे आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं।
आतंक का नेटवर्क कितना फैला हुआ था Hafiz Shahid का?
हाफिज शाहिद ने न सिर्फ पाकिस्तान के भीतर आतंक का जाल फैलाया हुआ था, बल्कि वह सोशल मीडिया और कट्टरपंथी वेबसाइटों के जरिए युवाओं को बरगलाने का काम भी करता था। उसका नेटवर्क भारत, अफगानिस्तान और खाड़ी देशों तक फैला हुआ बताया जाता है। वह फंडिंग, ट्रेनिंग और नेटवर्किंग का मास्टरमाइंड माना जाता था।
कई बार भारतीय खुफिया एजेंसियों ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाने की कोशिश की थी, लेकिन पाकिस्तान उसे सुरक्षा देता रहा। उसकी मौत इस पूरे नेटवर्क पर तगड़ा झटका है।
भारत की प्रतिक्रिया क्या रही?
भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन रक्षा और कूटनीति से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भारत इस खबर पर नज़र रख रहा है। भारत का मानना है कि Hafiz Shahid का खात्मा आतंकवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियां पहले से ही सतर्क हैं और ऐसे किसी भी घटनाक्रम को लेकर पूरी जानकारी जुटा रही हैं।

पाकिस्तान की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है
Hafiz Shahid जैसे आतंकवादी के मारे जाने की खबर पर पाकिस्तान सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली है। आमतौर पर जब कोई बड़ा आतंकी मारा जाता है तो उसकी पुष्टि या खंडन किया जाता है, लेकिन इस बार न कोई प्रेस कांफ्रेंस हुई, न कोई बयान।
इससे यह संदेह और भी गहरा हो गया है कि शायद यह एक ‘साफ-सफाई’ अभियान का हिस्सा था, जिसमें अब उन चेहरों को हटाया जा रहा है जो भविष्य में पाकिस्तान के लिए बोझ बन सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें पाकिस्तान पर
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और अन्य देशों की नजरें अब इस पूरे घटनाक्रम पर टिकी हैं। दुनिया पहले ही पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर चेतावनी दे चुकी है और अब Hafiz Shahid जैसे आतंकियों का अंत यह बताता है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव असर दिखा रहा है।
संभावना यह भी है कि आने वाले दिनों में और भी कई ऐसे नामों पर कार्रवाई की जा सकती है जो भारत, अफगानिस्तान या पश्चिमी देशों में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं।
क्या यह आतंकवाद के अंत की शुरुआत है?
Hafiz Shahid का मारा जाना निश्चय ही एक बड़ी घटना है, लेकिन इससे यह मान लेना कि आतंकवाद खत्म हो गया, जल्दबाजी होगी। यह केवल एक कदम है, एक संकेत है कि अब आतंक के खिलाफ वैश्विक समर्थन बढ़ रहा है और आतंकवादी चाहे कहीं भी हों, अब उन्हें पनाह मिलना मुश्किल होता जा रहा है।
लेकिन इस लड़ाई में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। जब तक आतंक की फैक्ट्रियां पूरी तरह बंद नहीं होतीं, तब तक शांति केवल एक भ्रम बनी रहेगी।
निष्कर्ष: Hafiz Shahid की मौत एक बड़ा संदेश
Hafiz Shahid का खात्मा केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं है, यह एक विचारधारा पर वार है। यह एक मजबूत संदेश है कि आतंक की राह पर चलने वालों का अंत निश्चित है। चाहे वे किसी भी देश में हों, कोई भी उन्हें बचा नहीं सकता।
भारत, पाकिस्तान और पूरे विश्व को यह समझने की जरूरत है कि आतंकवाद किसी भी देश के हित में नहीं है। यदि Hafiz Shahid जैसे चेहरे समय रहते खत्म न किए जाएं तो वे समाज और मानवता के लिए खतरा बन जाते हैं।
अब वक्त है कि दोनों देश शांति और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें और आतंकवाद को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए मिलकर काम करें।
आपकी क्या राय है? क्या Hafiz Shahid की मौत से आतंकवाद पर असर पड़ेगा?
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